Dhan Ki Kheti : किसान भाईयो, धान की रौपाई अब पूरी हो चुकी है और अब समय है धान के कल्लों और फुटाव को बढ़ाने का। अक्सर किसान भाई इसके लिए केमिकल और दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फिर भी मनचाहा परिणाम नहीं मिलता।
आज हम जानेंगे कि धान में अधिक फुटाव कैसे पाएं और पौधों की लंबाई को कैसे नियंत्रित करें।
Dhan Ki Kheti धान की लंबाई बढ़ने की समस्या
धान की किस्म चाहे बासमती हो, हाइब्रिड हो या पीआर, अगर पौधों की लंबाई ज्यादा हो जाए तो गिरने का खतरा बना रहता है। तेज हवा या अधिक पानी से फसल को नुकसान हो सकता है। कुछ किसान पौधों की लंबाई कम करने के लिए 50-55 दिन पर पत्ते कटवाते हैं, लेकिन इससे खर्च और समय दोनों बढ़ते हैं। इसलिए जरूरी है कि पौधों की लंबाई को नियंत्रित कर उनके फुटाव को बढ़ाया जाए।
लंबाई बढ़ने का कारण
Dhan Ki Kheti की लंबाई बढ़ने का कारण जिबरेलिन नामक हार्मोन होता है। यह हार्मोन पौधे के अंदर स्वाभाविक रूप से बनता है और इसी के कारण पौधों की लंबाई बढ़ती है, जिसका असर फसल की पैदावार पर भी पड़ता है।
समाधान
इस समस्या का समाधान पैक्लोबूत्राजोल नामक केमिकल से किया जा सकता है। यह 23% और 40% फॉर्मूलेशन में बाजार में उपलब्ध है। पैक्लोबूत्राजोल पौधों की इम्युनिटी और रेजिस्टेंस को बढ़ाता है, जिससे पौधे का ध्यान उत्पादन पर ज्यादा होता है और पैदावार बढ़ती है। इसे कल्ले फूटने के समय उपयोग करना चाहिए।
उपयोग की विधि
पैक्लोबूत्राजोल का स्प्रे और जड़ के माध्यम से Dhan Ki Kheti में उपयोग किया जा सकता है। इसे यूरिया में मिलाकर भी दिया जा सकता है। यूरिया में मिलाने का तरीका है कि पहले दवाई को थोड़े पानी में मिलाएं, फिर आधी दवा को यूरिया में डालें और अच्छी तरह मिलाएं। इसके बाद बाकी दवा को फिर से मिलाएं और खेत में बिखेर दें। बासमती धान के लिए इसे रेत में मिलाकर उपयोग करना बेहतर होता है।
मात्रा और समय
धान की लंबाई नियंत्रित करने के लिए पैक्लोबूत्राजोल 40% की 50 मिलीलीटर और 23% की 100 मिलीलीटर मात्रा रेत में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से डालनी चाहिए। लंबे कद वाली किस्मों में इसका उपयोग 30 दिन तक किया जा सकता है। रेत में दवा मिलाने का तरीका है कि पहले थोड़ी रेत में आधी दवा मिलाएं, फिर बाकी दवा मिलाकर अच्छी तरह मिलाएं और खेत में बिखेर दें।
Dhan Ki Kheti में इसके फायदे
इस दवा का उपयोग करने से धान के पौधों में फुटाव बढ़ता है, तना और जड़ें मजबूत होती हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, अगर इस दवा से Dhan Ki Kheti में 10% की भी बढ़ोतरी होती है, तो पैदावार में भी 10% का इजाफा होता है। तना मजबूत होने से पौधों के गिरने की संभावना कम हो जाती है।
निष्कर्ष
यह जानकारी सार्वजनिक तथ्यों पर आधारित है। किसी भी दवाई या केमिकल का उपयोग करने से पहले कृषि वैज्ञानिकों से सलाह अवश्य लें और सही जांच पड़ताल करें। इससे आपकी फसल सुरक्षित और बेहतर होगी।