इस माह द्वादशी (बारस) कब है? Dwadashi Kab Hai July 2025?

Dwadashi Kab Hai

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Dwadashi Kab Hai ? July 2025  : द्वादशी तिथि यानि बारस तिथि हिन्दू पंचांग का एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। यह हर महीने के बाहरवे दिन को दर्शाता है। बारस का मतलब होता है ‘बाहरवाँ दिन‘, जो हर महीने के चंद्र माह का बाहरवाँ और विशेष दिन होता है।

इस दिन का धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय महत्व होता है। द्वादशी तिथि या बारस तिथि के नाम से जाने वाले इस दिन कई धार्मिक अनुष्ठान, व्रत और पूजा होती हैं। हिन्दू धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। आईए जानते हैं की इस वर्ष विभिन्न महीनों में द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai

मुख्य बिन्दु

द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

वर्ष 2025 के जनवरी से दिसंबर तक की द्वादशी तिथि की जानकारी नीचे दी गई तालिकाओं में उपलब्ध है। आइए, हिंदू कैलेंडर के अनुसार देखें कि इस वर्ष हर महीने द्वादशी या बारस तिथि कब-कब आती (Dwadashi Kab Hai?) है।

जनवरी महीने मे द्वादशी तिथि या बारस कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
11 जनवरी 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिशनिवार
26 जनवरी 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिरविवार

फरवरी महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
09 फरवरी 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिरविवार
24 फरवरी 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिसोमवार

मार्च महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
11 मार्च 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिमंगलवार
26 मार्च 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिबुधवार

अप्रेल महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
09 अप्रैल 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिबुधवार
25 अप्रैल 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिशुक्रवार

मई महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
09 मई 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिशुक्रवार
24 मई 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिशनिवार

जून महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
07 जून 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिशनिवार
22 जून 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिरविवार

जुलाई महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
07 जुलाई 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिसोमवार
22 जुलाई 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिमंगलवार

अगस्त महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
06 अगस्त 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिबुधवार
20 अगस्त 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिबुधवार

सितंबर महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
04 सितंबर 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिगुरुवार
18 सितंबर 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिगुरुवार

अक्टूबर महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
04 अक्टूबर 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिशनिवार
17 अक्टूबर 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिशुक्रवार

नवंबर महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
02 नवंबर 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिरविवार
16 नवंबर 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिरविवार

दिसम्बर महीने मे द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai?

तारीखपक्षदिन
02 दिसंबर 2025शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथिमंगलवार
16 दिसंबर 2025कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथिमंगलवार

द्वादशी तिथि व्रत की सूची 2025 (Dwadashi Vrat List 2025)

अब तक हमने जाना की द्वादशी कब है Dwadashi Kab Hai और 2025 के सभी द्वादशी व्रत कब है, आईए अब आगे जानते हैं की द्वादशी तिथि का क्या महत्व है।

द्वादशी तिथि (Dwadashi Titihi) का क्या महत्व है?

Dwadashi Kab Hai

द्वादशी तिथि या बारस तिथि का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह तिथि हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष दोनों में आती है और इसे व्रत, पूजा, और दान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। द्वादशी तिथि विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

ऊपर दिए गए द्वादशी व्रत लिस्ट 2025 में हमने जाना की द्वादशी कब है Dwadashi kab hai, अब आगे जानते हैं एकादशी पूजा विधि और व्रत कथा।

द्वादशी तिथि (Dwadashi Titihi) का धार्मिक महत्व

व्रत और उपवास

द्वादशी तिथि पर व्रत रखने की परंपरा है और इसे भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन द्वादशी व्रत का पालन किया जाता है, जिसे पारणा कहते हैं। इस दिन व्रतधारी भक्तगण व्रत खोलते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

भगवान विष्णु की पूजा

द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु और उनके विभिन्न अवतारों की विशेष पूजा की जाती है। भक्तगण दिन भर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करते हैं और उनके नाम का स्मरण करते हैं। भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, फल, फूल, धूप, दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है।

द्वादशी तिथि (Dwadashi Titihi) की पूजा विधि

  • स्नान और शुद्धि: द्वादशी तिथि पर प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान की तैयारी: पूजा स्थल को शुद्ध करें और वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  • मंत्र जाप: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
  • अर्पण: भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, फल, फूल, धूप, दीप, चंदन और प्रसाद अर्पित करें।
  • दान: द्वादशी तिथि पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषीय महत्व और योग

द्वादशी तिथि का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है और इसमें विशेष योग बनते हैं जो जीवन में विशेष प्रभाव डालते हैं।

शुभ योग

द्वादशी तिथि पर यदि विशेष योग बनते हैं, तो यह अत्यंत शुभ माने जाते हैं। जैसे कि रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग आदि। इन योगों में किए गए कार्य सफल होते हैं और शुभ फल प्रदान करते हैं।

द्वादशी तिथि (Dwadashi Titihi) की कथाएं

द्वादशी तिथि से जुड़ी विभिन्न धार्मिक कथाएँ हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने भक्तों के पापों से मुक्ति दिलाने के लिए द्वादशी तिथि का महत्व बताया था। इस दिन व्रत और पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।

गोविंद द्वादशी

गोविंद द्वादशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तगण भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण करते हैं और उनके नाम का कीर्तन करते हैं।

विशेष द्वादशी व्रत

द्वादशी तिथि पर कुछ विशेष व्रतों का भी आयोजन किया जाता है, जैसे:

  • पद्मिनी एकादशी: इस द्वादशी को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और यह व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।
  • वैष्णव द्वादशी: यह व्रत विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों द्वारा किया जाता है और इसमें भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

बछ बारस व्रत कथा Dwadashi vrat katha बारस की कथा 

बछ बारस व्रत कथा Dwadashi vrat katha बारस की कथा 

निष्कर्ष

द्वादशी तिथि का धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। इस तिथि पर व्रत, उपवास, और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। द्वादशी तिथि पर किए गए व्रत और पूजा से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आपके पूरे सहयोग से हमने इस पोस्ट मे जाना की द्वादशी व्रत लिस्ट 2025 और द्वादशी कब है (Dwadashi Kab Hai) और एकादशी व्रत कथा पूजा विधि की जानकारी पाई।

FAQ द्वादशी व्रत लिस्ट 2025 और द्वादशी कब है (Dwadashi Kab Hai)

1. जनवरी में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

जनवरी 2025 में 11 जनवरी 2025 को शुक्ल पक्ष और 26 जनवरी 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

2. फरवरी में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

फरवरी 2025 में 09 फरवरी 2025 को शुक्ल पक्ष और 24 फरवरी 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

3. मार्च में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

मार्च 2025 में 11 मार्च 2025 को शुक्ल पक्ष और 26 मार्च 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

4. अप्रैल में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

अप्रैल 2025 में 09 अप्रैल 2025 को शुक्ल पक्ष और 25 अप्रैल 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

5. मई में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

मई 2025 में 09 मई 2025 को शुक्ल पक्ष और 24 मई 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

6. जून में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

जून 2025 में 07 जून 2025 को शुक्ल पक्ष और 22 जून 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

7. जुलाई में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

जुलाई 2025 में 07 जुलाई 2025 को शुक्ल पक्ष और 22 जुलाई 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है। 

8. अगस्त में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

अगस्त 2025 में 06 अगस्त 2025 को शुक्ल पक्ष और 20 अगस्त 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

9. सितम्बर में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

सितंबर 2025 में 04 सितंबर 2025 को शुक्ल पक्ष और 18 सितंबर 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

10. अक्टूबर में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

अक्टूबर 2025 में 04 अक्टूबर 2025 को शुक्ल पक्ष और 17 अक्टूबर 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

11. नवंबर में बारस द्वादशी तिथि कब है Dwadashi Kab Hai?

नवंबर 2025 में 02 नवंबर 2025 को शुक्ल पक्ष और 16 नवंबर 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

12. दिसंबर में बारस द्वादशी तिथि कब है? Dwadashi Kab Hai?

दिसंबर 2025 में 02 दिसंबर 2025 को शुक्ल पक्ष और 16 दिसंबर 2025 को कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है।

इस महीने की अन्य तिथियाँ

हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर चंद्र मास में दो पक्ष होते हैं – शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। प्रत्येक पक्ष में 15 तिथियां होती हैं। इनमें से 14 तिथियां दोनों पक्षों में एक जैसी होती हैं।

लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि अमावस्या कहलाती है, जबकि शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस साल की अन्य महत्वपूर्ण तिथियां नीचे दी गई हैं –

प्रतिपदा (पड़वा) कब है?नवमी (नौमी) कब है?
द्वितीया (दूज) कब है?दशमी (दसम) कब है?
तृतीया (तीज) कब है?एकादशी (ग्यारस) कब है?
चतुर्थी (चौथ) कब है?द्वादशी (बारस) कब है?
पंचमी (पचमी) कब है?त्रयोदशी (तेरस) कब है?
षष्ठी (छठ) कब है?चतुर्दशी (चौदस) कब है?
सप्तमी (सातम) कब है?पूर्णिमा (पूरनमासी) कब है?
अष्टमी (आठम) कब है?अमावस्या (अमावस) कब है?

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